वो एक रिश्ता
वो एक रिश्ता जिससे मैं
जी भर के बातें करती हूँ
वो एक रिश्ता जिसमें मैं
कुछ न शिकायत करती हूँ
वो एक रिश्ता जिसने
मुझे हिम्मत रखना सिखाया
वो एक रिश्ता जिसने
मेरा स्वयं से परिचय कराया
वो एक रिश्ता जिसमे
कुछ बोलने के पहले सोचना नहीं पड़ता
वो एक रिश्ता जिसमें
ह्रदय का कष्ट अंदर सोखना नहीं पड़ता
वो एक रिश्ता जो
सारे रिश्तों से भी आगे हो गया
वो एक रिश्ता जिसमें
मेरा स्वयं से मिलन हो गया
वो एक रिश्ता जो
मेरी सारी कमियों को भूल गया
वो एक रिश्ता जिसने
मुझे तन-मन से कबूल किया
वो एक रिश्ता जो
दूसरों की तरह मुझे नहीं परखता
वो एक रिश्ता जिसमें
कभी ना खत्म होने वाला प्रेम है झलकता
वो एक रिश्ता जो
मेरे सामने नहीं फिर भी हर पल साथ है
वो एक रिश्ता जिसमें
अनन्त प्रेम है जिसकी नींव निस्वार्थ है
समां गया है मन में प्राण की तरह
वो एक रिश्ता जो
बेवजह ही बन गया जीने की वजह
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